मोहब्बत और मेरी पत्नी
इस कहानी के दो मुख्य किरदार हैं कविता और प्रवीण जिनके बीच उम्र का फर्क महज 20 सालों का है ।
शाम के लगभग 7 बज रहे थे और कविता अभी बस ऑफिस से लौट कर घर आई ही थी की तभी फोन की घंटी बजी .. बेहद ही हैरान भरी निगाहों से उसने फोन की तरफ नजर घुमाया और फोन को नजरंदाज करते हुए अपने काम में व्यस्त हो गई ।
कविता के चहरे पर ढेरों उलझन और तनाव साफ नजर आ रहा था और इसका नतीजा ये हुआ की उसने सब्जी काटते काटते अपनी उंगली भी काट ली । खून मानों रुकने का नाम ही ना ले रहा हो .. की तभी घर के दरवाजे की घंटी बजी , लगभग 7.30 बज चुके थे और उसे मालूम था की दरवाजा पर मां होंगी । जैसे तैसे उसने अपने दुप्पटे के एक हिस्से को फाड़ कर अपनी उंगली में बांधा और दरवाजे की ओर दौड़ पड़ी । दरवाजा खुलते ही हाथ में सब्जी का झोला लिए मां खड़ी थी .. कविता बोली आओ मांं क्या क्या लेकर आई हो ... लौकी और बैंगन तो नहीं लेकर आई हो ना वरना मैं खाना बाहर से मंगा लेती हू ।
मां ने बेहद ही शरारती अंदाज में झोले को कविता की तरफ बढ़ाते हुए बोली .. खुद ही देख लो समझ आ जायेगा ।
झट से झोले को लेकर फ्रिज की तरफ कविता बढ़ी ही थी की फिरसे उसका फोन बजने लगा और बिना सब्जी का पैकेट खोले वो फोन देखने के लिए आगे बढ़ी की तभी फिरसे दरवाजे की घंटी बजी ... अंदर से मां भी चिल्लाई अरे कविता देखो कौन आया है ।
हाथों में गुलदस्ता और केक का डब्बा लिए ठंड से ठिठुर रहा एक नौजवान खड़ा था .. मैम कविता सारस्वत जी के लिए केक आया हैं .. बेहद ही हैरान भरी निगाहों से उसने उसकी तरफ देखा और फिर झट से पूछ उठी .. किसने भेजा आप को । मैम हमारा काम सिर्फ डिलीवर करने का है मुझे नहीं पता हां मैं आप को फोन नंबर का आखिरी चार डिजिट बता सकता हु .. हां बताइए .. 1372 ।
हल्की सी मुस्कान और नाक पर गुस्सा साफ झलक रहा था कविता के चहरे पर । मां बोली क्या आया है बेटा .. थोड़ा हिचिकचाते हुए बोली .. कुछ नहीं मां सोच रही थी की क्यों नहीं हम लोग भी आज क्रिसमस मनाए इसी लिए मैंने आप के और पापा के लिए केक और फूल का गुलदस्ता मंगा लिया । बस फालतू के पैसे बर्बाद कर तू खैर मैं पापा के साथ डाक्टर के यहां हो कर आती हु .. तू तब तक अपना सारा काम समेट ले .. ठीक है मां आप जाओ मैं देख लूंगी ।
फोन पर जो 17 मिस्ड काल पड़े थे वो सभी के सभी एक ही नंबर से थे और सबसे हैरान करने वाली बात ये उस इंसान का नंबर बिलकुल नहीं था जिसने केक भेजा था क्योंकि उसका नंबर किसी और के नाम से पहले से ही कविता के फोन में सेव था और वो इंसान ऐसा कुछ नहीं कर सकता था इस बात का पूरा भरोसा कविता को था लेकिन शायद अगले कुछ पल में जिंदगी एक अलग ही करवट लेने वाली थी ।
खैर ... तो कहानी शुरू होती है ऐसे .. !
होम ट्यूशन और पार्ट टाइम योगा की क्लास देकर कविता अपना और अपने परिवार का पेट पाल रही थी की इसी दौरान एक ऑनलाइन क्लास के बीच में श्वेता के पति प्रवीण ( पार्थ के फादर ) ने पहली दफा कविता को देखा और पहली ही नजर में काफी प्रभावित हो गया ।
ना उसने आओ देखा ना ताव सीधे श्वेता को बोला कोई घर पर पढ़ाने वाला टीचर देखो ऑनलाइन से मुझे नहीं लगता पार्थ बहुत समझ पाता होगा खास करके मैथ्स या फिर इसी टीचर से ही बात करो की ये घर पर आ कर पढ़ा दे l
नहीं प्रवीण मुझे नहीं लगता ये घर आकर पढ़ा पाएंगी लेकिन चलो मैं देखती हु क्योंकि मुझे भी लगता है पार्थ को होम ट्यूशन से जादे फायदा होगा । लगभग 10 दिन बीत चुके थे और अभी भी पार्थ ऑनलाइन ट्यूशन ही ले रहा था .. प्रवीण ने पूछा श्वेता कोई मिला नहीं क्या ? नहीं यार मैंने बहुत कोशिश की लेकिन कोई भी फिलहाल घर आकर पढ़ाने से मना कर रहा है । अरे वो ट्यूशन टीचर क्या कह रहीं हैं .. कविता मैम भी मना कर रही है । बेहद ही साधारण भाव से प्रवीण ने श्वेता से पूछा एक बार मैं बात कर के देखू अगर तुम कहो तो .. हां बिलकुल ।
मैंने नंबर पारवर्ड कर दिया है तुम देख लो .. चलो कल सुबह मैं कॉल करता हु एक बार प्लीज़ याद दिला देना । अगले दिन लगभग ऑफिस से घर लौटते वक्त अचानक से प्रवीण को याद आया की उसे पार्थ के टीचर को फोन करना था लेकिन शाम के 7 बज चुके थे .. वो असमंजस में पड़ गया मैं फोन करू या नहीं लेकिन आखिरकार उसने फोन मिला ही दिया लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया । अभी प्रवीण घर पहुंचने ही वाला था की अचानक से फोन की घंटी बजी और उधर से कविता ने बेहद ही सरल अंदाज में पूछा .. सॉरी आई मिस्ड योर कॉल
.. आई वाज इन द जिम ( आप का फोन नहीं उठा पाई .. मैं जिम में थी ) कोई बात नहीं मैम .. मैं प्रवीण शर्मा बोल रहा हू पार्थ का फादर .. हां सर नंबर है आप का .. मैम ने बताया था की आप को कुछ बात करनी है बताइए ।
क्या आप घर पर आ सकती है पार्थ को पढ़ाने के लिए .. नहीं सर ये तो नहीं संभव है क्योंकि मेरा पहले से ही शेड्यूल बहुत टाइट है और मैं घर आकर नहीं पढ़ा सकती । आई एम रियली सॉरी ।।
अरे नहीं कोई बात नहीं मैं समझ सकता हूं । वक्त गुजरता गया और शायद अब श्वेता और प्रवीण भी ऑनलाइन क्लास से संतुष्ट रहने लगे थे की अचानक घर से लौटते वक्त फोन पर लोगों के स्टेट्स देखते वक्त प्रवीण की नजर कविता के स्टेट्स पर पड़ी ?? प्रे फॉर माई मदर ( मेरी मां के लिए प्रार्थना करें ) । प्रवीण ने तुरंत फोन कर के श्वेता से जानने की कोशिश की लेकिन श्वेता का फोन नहीं उठने के कारण उसने थोड़ी हिचक के साथ कविता को फोन मिला दिया । कविता ने बताया की अचानक से मम्मी को स्टोन का दर्द उभर आया और बहुत मुश्किल से डॉक्टर ने अब जा कर देखा है । कहां पर है आप मैम .. मेट्रो हॉस्पिटल .. मैं भी बस 2 मिनट पहले ही निकला हु वहा से आप बताइएगा अगर कोई भी जरूरत हो .. अच्छा आप एक काम करिए वहा पूछिए डाक्टर कौशल हैं क्या ? सर यहां कोई किसी से बात नहीं करके को तैयार है बाकी अब सब मैनेज हो गया है आप फिक्र मत करिए ।। थैंक्स ।
अगले पांच मिनट में कविता के फोन की घंटी फिर बजी .. मैम आप कहा पर है मैं इमरजेंसी काउंटर पर खड़ा हू । ये ब्लैक गोगल्स में आप खड़े है क्या ?
आखिरकार आज पहली दफा प्रवीण ने कविता को देख लिया और ये मुलाकात मौजूदा स्थिति में दोनों की जिंदगिया बदलने वाली थी ।
कुछ दिनों के बाद प्रवीण के फोन पर एक फोन आता है और दूसरी ओर से आवाज आती है थैंक्यू सर आप ने और मैम ने बहुत हेल्प किया । अरे कविता मैं क्या बात कर रही है आप .. आप भी परिवार का हिस्सा हैं । सो नाइस ऑफ़ यू सर .. थैंक्स अगेन ।।
इस बीच कविता और प्रवीण की पार्थ या फिर कविता के मम्मी की तबीयत को लेकर मैसेज पर थोड़ी बहुत बाते होने लगी थी .. और श्वेता इन सब से बेखबर अपने बच्चे और घर के कामों में व्यस्त थी ।। यूं तो उम्र का फासला लगभग 20 साल का है प्रवीण और कविता के बीच लेकिन दिल तो बच्चा है ना जी .. !!
To be continued ...
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