तन्मय की प्रगति

हल्की हल्की बारिश और सर्द पड़ते मौसम के बीच अचानक नजर फ़ोन की तरफ गई और फ़ोन अनलॉक करते ही आँखो say आंसुओ की बारिश होने लगी ...

ये कहानी है तन्मय और प्रगति की .. हर प्रेम कहानी से बेहद अलग है इन दोनों की कहानी . तन्मय एक सामान्य परिवार मे पला बड़ा साधारण लड़का था तो वही प्रगति शहर के माने जाने पत्रकार की बेटी थी हां लेकिन एक बात दोनों मे एक जैसी थी वो थी खुद से कुछ करने का जूनून . जहा एक ओर तन्मय के लिए इस जूनून का कारण उसकी गरीबी और घर के खर्चे का बोझ था तो वही दूसरी ओर प्रगति के जूनून की वजह थे उसके आदर्शवादी पिता .. जिन्होंने उसे बचपन से ही माता और पिता दोनों का प्यार दिया और खुल कर अरमानो को पूरा करने की आज़ादी दी . ... 

स्वभाव से बेहद सरल तन्मय आज पहली बार इंटरव्यू देने के लिए जैसे ही घर से ऑटो पकड़ने जा रहा थे ठीक वैसे ही उसका सामना भीसड़ बारिश से होता है और जैसे तैसे कर के बारिश से खुद को बचाते हुए सड़क किनारे एक पेड़ के नीचे खड़ा हो जाता है . अपने अगले ही पल घटने वाली घटनाओ से अनजान तन्मय कभी घडी देखता है तो कभी आसमान . इस वक़्त सब कुछ उसके खिलाफ हो रहा था जहा एक ओर वो वक़्त के रुकने और बारिश के थमने की उम्मीद कर रहा था वही वक़्त आगे बढ़ कर और बारिश बरश कर उसके उम्मीदों पर पीना फेर रहा था . बारिश जैसे जैसे धीरे हो रही थी , तन्मय के कदम वैसे वैसे तेज और तभी तेज चाल को एक तेज कार ने पानी फेरकर थाम दिया . बेहद ही मासूम अंदाज़ मे अपने फ़ाइल को बाहो मे समेट कर वो जैसे ही कार की तरफ चला कार एक झटके मे गायब हो गई और सिवाये मायूसी के तन्मय के हाथ कुछ नहीं लगा . पहले आफत की बारिश और अब ये कार .. दोनों ने उसे उसकी मंजिल तक जाने से रोक दिया . जहा एक ओर गन्दा कपडा और लेट होने की बात उसे इंटरव्यू देने से रोक रही वही उसका जूनून उसे कुछ करने को आगे बड़ा रहा था . आखिरकार जूनून जीत गया और तन्मय के गेट पर पहुचते ही उसे गेट पर देखी वो ज़ालिम कार जिसने उसके एक मात्र साफ़ सुथरे कपड़े को गंदा कर दिया था , अब वो कुछ और सोचता तभी अचानक उसकी नज़र गईं ड्राइवर पर .. जो उसे देख कर बेहद घबराई हुई थी . तन्मय तेज़ी से उस कार की ओर बड़ने लगा और उतनी ही से प्रगति की धड़कने बड़ने लगी . मरता क्या ना करता . ना आओ देखा ना ताओ ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ ...
To be continued

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